अक्सर लोगों को नई जगह पर नींद नहीं आने की समस्या से जूझना पड़ा होगा.
किसी नई जगह या परिचित के घर ठहरने पर नींद होने के बावजूद सो नहीं पाने का अनुभव जरूर हुआ होगा. आखिर इसकी वजह क्या है? अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी ने इसका वैज्ञानिक जवाब तलाश करने की कोशिश की है.
नींद वैज्ञानिकों के लिए किसी पहेली से कम नहीं है क्योंकि उन्हें अभी तक पता नहीं चल पाया है कि ये जरूरी क्यों है. उन्हें सिर्फ इतना मालूम हुआ है कि नींद की कमी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. जानवर भी सोने के आदी होते हैं और कई घंटे अपनी सुरक्षा के लिए सोना मुश्किल हो तो कुछ जानवर एक आंख खोलकर सो लेते हैं. डोल्फिन, घरेलू मुर्गियां और अन्य जीव जिनके दिमाग का आधा हिस्सा एक वक्त में सोता है.
आपको नई जगह नींद क्यों नहीं आती है?
जर्नल करंट बायोलॉजी में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि किसी नई जगह नींद न आने के पीछे भी यही वजह है. यानी जानवरों जैसा चौकन्ना रहना. ऐसे असुरक्षित माहौल में सोने का मौका मिले तो जेहन किस हद तक होशियार और चौकस हो सकता है. हमारा दिमाग होटल के कमरों, परिचितों या दोस्तों के कमरों और नए घर को भी इस खतरे में शामिल कर देता है. जिसकी वजह से वहां पहली रात सोना बहुत मुश्किल हो जाता है. शोधकर्ताओं ने 35 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण किया. उन्हें एक स्लिप लैब में एक हफ्ते के अंतराल से 2 रातों को सोने की हिदायत दी गई.
शोधकर्ताओं ने की जवाब ढूंढने की कोशिश
शोध में शामिल स्वंयसेवकों के साथ ऐसी मशीन भी लगाई गई जो दिल की धड़कन, खून में ऑक्सीजन लेवल, सांस, आंखों और पांवों की हरकत के साथ दिमाग के दोनों हिस्सों की कार्यप्रणाली को मॉनिटर कर रही थी. शोधकर्ताओं ने पाया कि पहली रात नींद के दौरान स्वंयसेवकों के दिमाग के बाएं हिस्से में ज्यादा चौकन्नापन नजर आया. एक हफ्ते बाद स्वंयसेवक दोबारा उसी जगह पर आए और दिमागी कार्यप्रणाली से संकेत मिला कि अब दिमाग उस माहौल से परिचित हो चुका है और दोनों हिस्सों में चौकन्नापन की सतह बराबर पाई गई.