एक गाँव में एक सुनार और उसकी पत्नी रहते थे | वो व्यवहार से बड़े ही लोभी थे और उन्हें अपने घर में किसी का आना पसंद नहीं था जिससे की उनके पैसे खर्च न हो जाएँ | जैसे ही कोई उनके घर आने के लिए बोलता था वो बहन बनाकर टाल देते थे और बच जाते थे | एक बार उनके घर पर दो रिश्तेदार आने वाले थे , पर यह सुनकर सुनार और उसकी पत्नी को चिंता होने लगी की अब तो हमें पैसे खर्च करने पड़ेंगे | उन दोनों ने मिलकर एक तरकीब सोची कि जैसे ही रिश्तेदार आएँगे वो दोनों आपस में लड़ना शुरू कर देंगे | एक दूसरे को गाली देना शुरू कर देंगे |
सुनार ने कहा मैं तुम्हारे पीछे डंडा लेकर भागूँगा और तुम अन्दर से बेलन लेकर मेरे पीछे भागना | यह सब लड़ाई झगड़ा देखकर रिश्तेदार अपने आप हमारे घर से चले जाएँगे | अगले दिन रिश्तेदार आ गए और सुनार ने अपनी पत्नी की और इशारा किया और लड़ाई शुरू कर दी | सुनार ने डंडा उठा लिया और उसकी पत्नी ने अन्दर से बेलन | सुनार की पत्नी उसके पीछे भागने लगी |
रिश्तेदार उनकी चाल समझ गए और वो ऊपर मंजिल के कमरे में चले गये | कुछ समय बाद वो दोनों वापस आए और देखा अन्दर कोई नहीं है | दरवाजा बंद करके जोर जोर से एक दुसरे की तारीफ करने लगे और हसने लगे | उनके रिश्तेदार उपर उसी मंजिल में थे | उन्होंने यह सब सुन लिया और उन्हें भला बुरा कहा | अब सुनार और उसी पत्नी बहुत लज्जित हुए और उन्होंने उन रिश्तेदारों की सेवा की और उन्हें खूब खिला पिलाकर सुबह विदा किया |
Moral of the Story
शिक्षा :- हमें दूसरों को बेवकूफ नहीं समझना चाहिए हर शेर के ऊपर सवा शेर होता है |