Shardiya Navratri 2nd Day : ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, खुल जाएंगे किस्मत के दरवाजे

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Shardiya Navratri 2nd Day: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है ब्रह्मचारिणी माता की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग

शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है। आइए जानें माता का पूजन किस विधि से करना आपके लिए फलदायी होगा।

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों का अपना अलग महत्व है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग स्वरूपों की पूजा बड़ी ही श्रद्धा भाव से की जाती है और माता से घर की सुख समृद्धि की प्रार्थना की जाती यही। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 26 सितंबर को हुआ है और पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन होता है।

वहीं दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है और उनका पूजन भी बड़े ही विधि विधान के साथ कुछ नियमों का पालन करते हुए किया जाता है। हम आपको पूरे नौ दिनों में माता के अलग स्वरूपों की पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं।

आइए उसी क्रम में ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें कि दूसरे दिन मां जगदंबा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप का पूजन कैसे किया जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कौन से मंत्रों का जाप फलदायी होगा।

Bramcharni mata

ब्रह्मचारिणी का अर्थ

मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का आशय हुआ तप का आचरण करने वाली। भगवान शिवजी से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण इन्हें माता ब्रह्मचारिणी का नाम दिया गया है।

ऐसी मान्यता है कि मां जगदंबा का ब्रह्मचारिणी स्वरूप काफी शांत, सौम्य और तेजोमय है। उनके बाह्य स्वरुप की बात करें तो माता ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं।

देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप कैसा है

मां ब्रह्माचारिणी के नाम में ही उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति माता के इस स्वरूप की पूजा करता है उसके जीवन में तप, त्याग, संयम, सदाचार आदि की वृद्धि होती है।

इनके पूजन से जीवन के समय में भी इंसान अपने पथ से विचलित नहीं होता है। ब्रह्मचारिणी माता को ऊर्जा की देवी माना जाता है। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता मानी जाती हैं। उनका स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं। माता ब्रह्मचारिणी को तप की देवी भी माना जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

  • शारदीय नवरात्रि के सौरान मां ब्रह्मचारिणी की पूजा बहुत ही शास्त्रीय विधि से की जाती है और उनकी पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
  • माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए प्रातः जल्दी उठें और साफ वस्त्र धारण करके पूजन करें।
  • माता की तस्वीर या मूर्ति एक चौकी (माता की चौकी सजाने का तरीका) पर रखें और उन्हें पीले या सफेद वस्त्रों से सुसज्जित करें।
  • माता को सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें।
  • घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • मां दुर्गा का ये दूसरा और सबसे दिव्य माना जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी के लिए भोग

मां ब्रह्मचारिणी को मुख्य रूप से शक्कर का भोग लगाना चाहिए। इससे व्यक्ति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है और आरोग्य प्राप्त होता है। ऐसा करने से परिवार के लोगों में सुख शांति बनी रहती है और घर में सुख समृद्धि का वातावरण बना रहता है।

navratri ke dusre din ki puja vidhi

मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र

माता दुर्गा के इस स्वरुप को प्रसन्न करने के लिए आप कुछ विशेष मंत्रों का जाप करें, इससे घर की खुशहाली बनी रहेगी और सुख समृद्धि आएगी।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

ब्रह्मचारिणी माता आरती Brahmcharini Maa Aarti Lyrics : Om Jay Brahmcharini

ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ,
ॐ जय ब्रह्मचारिणी माँ,
मैया जय ब्रह्मचारिणी माँ,
अपने भक्त जनो पे,
अपने भक्त जनों पे,
करती सदा ही दया
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

ॐ जय ब्रह्मचारिणी माँ
ॐ जय ब्रह्मचारिणी माँ
अपने भक्तों जनो पे
अपने भक्तों जनो पे
करती सदा ही दया
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

दर्शन अनुपम मधुरम,
साद नारद रेहती,
मैया साद नारद रेहती,
शिव जी की आराधना,
शिव जी की आराधना,
मैया सदा करती,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

बाये हाथ कमंडल,
दाहिन में माला,
मैया दाहिन में माला,
रूप जो तिरीमय अद्भुत,
रूप जो तिरीमय अद्भुत,
सुख देने वाला,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

देव ऋषि मुनि साधु
गुण माँ के गाते,
सब गुण माँ के गाते,
शक्ति स्वरूपा मैया,
शक्ति स्वरूपा मैया,
सब तुझको ध्याते,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

सन जम तब वैराग्य,
प्राणी वो पाता,
मैया प्राणी वो पाता
ब्रह्मचारिणी माँ को,
ब्रह्मचारिणी माँ को,
जो निशिदिनी ध्याता,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

नव दुर्गो में मैया,
दूजा तुम्हारा स्वरूप,
मैया दूजा तुम्हारा स्वरूप,
श्वेत वस्त्र धारिणी माँ,
श्वेत वस्त्र धारिणी माँ,
ज्योतिर्मय तेरा रूप,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

दूजे नवरात्रे मैया,
जो तेरा व्रत धारे,
मैया जो तेरा व्रत धारे,
करके दया जग जननी,
करके दया जग जननी,
तू उसको तारे,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

शिव प्रिय शिवा ब्रम्हाणी,
हम पे दया करियो,
मैया हम पे दया करियो,
बालक है तेरे ही,
बालक है तेरे ही,
दया दृष्टि रखियो,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

शरण तिहारी आए,
ब्रम्हाणी माता,
हे ब्रम्हाणी माता,
करुणा हम पे दिखाओ,
करुणा हम पे दिखाओ,
शुभ फल की दाता,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

ब्रह्मचारिणी की आरती,
जो कोई गावे,
मैया जो कोई गावे,
कहत शिवानंद स्वामी,
कहत शिवानंद स्वामी,
मन वांछित फल पावे,
ओम जय ब्रह्मचारिणी माँ।

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