Akbar & Birbal Stories in Hindi: दोस्तों आपने अकबर बीरबल के काफी किस्से सुने होंगे जिसमे से एक आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं | आज हम आपको मोम का शेर एक मज़ेदार किस्सा सुनाने जा रहे हैं जो काफी मशहूर है | जब भी बुद्धिमत्ता, चतुराई और हाजिर-जवाबी की बात होती है, तो सबसे पहला नाम बीरबल का आता है। वहीं, अकबर-बीरबल की जुगलबंदी किसी से छुपी नहीं है
अकबर-बीरबल की कहानियां हमेशा से सभी के लिए प्रेरणादायक रही हैं। बीरबल ने अपनी चतुराई और बुद्धिमता से कई बार बादशाह अकबर के दरबार में आए पेचीदा मामलों को सुलझाया। साथ ही बादशाह अकबर की ओर से दी गई चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार कर, उनका हल निकाला। बेशक, ये किस्से-कहानियां सदियों पुरानी हैं, लेकिन वर्तमान में भी इनका महत्व कायम है।
ऐसा कहा भी जाता है कि बीरबल को बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अनमोल रत्न माना जाता था। अकबर-बीरबल से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जो हर किसी को गुदगुदाती हैं। साथ ही एक खास सीख भी दे जाती हैं|
चलिए शुरू करते हैं |
सर्दियों के दिन थे, अकबर का दरबार लगा हुआ था। तभी फारस के राजा का भेजा एक दूत दरबार में उपस्थित हुआ।
राजा को नीचा दिखाने के लिए फारस के राजा ने मोम से बना शेर का एक पुतला बनवाया था और उसे पिंजरे में बंद कर के दूत के हाथों अकबर को भिजवाया, और उन्हे चुनौती दी की इस शेर को पिंजरा खोले बिना बाहर निकाल कर दिखाएं।
बीरबल की अनुपस्थिति के कारण अकबर सोच पड़ गए की अब इस समस्या को कैसे सुलझाया जाए। अकबर ने सोचा कि अगर दी हुई चुनौती पार नहीं की गयी तो जग हसायी होगी। इतने में ही परम चतुर, ज्ञान गुणवान बीरबल आ गए। और उन्होने मामला हाथ में ले लिया।
बीरबल ने एक गरम सरिया मंगवाया और पिंजरे में कैद मोम के शेर को पिंजरे में ही पिघला डाला। देखते-देखते मोम पिघल कर बाहर निकल गया ।
अकबर अपने सलाहकार बीरबल की इस चतुराई से काफी प्रसन्न हुए और फारस के राजा ने फिर कभी अकबर को चुनौती नहीं दी।
Moral of the Story: बुद्धि के बल पर बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है.